
स्थान: वाशिंगटन/तेहरान/दोहा | तारीख: 24 जून, 2025
ईरान ने हाल ही में अमेरिका द्वारा उसके परमाणु ठिकानों पर किए गए हवाई हमलों के जवाब में कतर स्थित एक अमेरिकी सैन्य अड्डे पर मिसाइलें दागीं। यह घटनाक्रम ईरान-इस्राइल संघर्ष और उसमें अमेरिका के शामिल होने के बीच हुआ।
लेकिन आश्चर्यजनक रूप से, इस हमले के बाद तेल की कीमतों में गिरावट देखी गई। आमतौर पर जब वेस्ट एशिया में तनाव बढ़ता है, तो वैश्विक बाजार में तेल की कीमतें भी बढ़ती हैं। परंतु इस बार व्यापारियों और बाजार विशेषज्ञों ने इस घटना को अलग नजरिए से देखा।
उनका मानना था कि ईरान का यह हमला प्रतीकात्मक और सीमित प्रतिक्रिया थी और उसकी मंशा तेल आपूर्ति या होर्मुज़ जलडमरूमध्य को अवरुद्ध करने की नहीं थी। ईरान का यह निर्णय निवेशकों को यह संकेत देने में सफल रहा कि वह संघर्ष को और न बढ़ाकर नियंत्रण में रखने का प्रयास कर रहा है।
होर्मुज़ जलडमरूमध्य, जिससे होकर दुनिया का लगभग 20% कच्चा तेल गुजरता है, अगर अवरुद्ध होता तो इसका सीधा असर वैश्विक ऊर्जा बाजार पर पड़ता। चूंकि ईरान ने उस क्षेत्र को निशाना नहीं बनाया, इसलिए तेल व्यापारियों को लगा कि तेल आपूर्ति पर तत्काल कोई खतरा नहीं है, और उन्होंने जोखिम प्रीमियम को हटाना शुरू कर दिया।
इसी बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार देर रात यह घोषणा की कि ईरान और इस्राइल के बीच एक संभावित संघर्ष विराम की शुरुआत हो चुकी है। हालांकि आधिकारिक तौर पर किसी समझौते की पुष्टि नहीं हुई, लेकिन दोनों पक्षों के बयान से यह स्पष्ट है कि सैन्य कार्रवाई अस्थायी रूप से रुकी हुई है।
ईरान के विदेश मंत्री सेय्यद अब्बास अरक़ची ने कहा कि कोई औपचारिक संघर्षविराम नहीं हुआ है, लेकिन यदि इस्राइल हमले बंद करता है, तो ईरान भी जवाबी कार्रवाई नहीं करेगा।
तेल की कीमतें ईरान के हमले के बाद और फिर ट्रंप के बयान के बाद और नीचे गिर गईं। ब्रेंट क्रूड ऑयल अब करीब 68 डॉलर प्रति बैरल के आसपास है। पिछले दो सप्ताहों में जब से यह संघर्ष शुरू हुआ था, ब्रेंट की कीमत 69 डॉलर से बढ़कर 81 डॉलर तक पहुंच गई थी। उस समय शिपिंग पर युद्ध जोखिम प्रीमियम भी बढ़ गया था क्योंकि टैंकरों पर हमले या नुकसान की आशंका थी।